Perplexity AI : एक Middle-Class भारतीय लड़के ने Google का बनाया बुरा सपना | AI model और search engine के बीच एक bridge |

Aravind Srinivas Founder of Perplexity

Perplexity : Aravind Srinivas का IIT से Open AI तक

एक मिडिल क्लास इंडियन बॉय अपना एक startup Perplexity लॉन्च करता है जो सीधे ही गूगल इंजन के लिए बड़ा thread बन जाता है बात करेंगे Aravind Srinivas को search engine space में ऐसा क्या दिखा जो उन्होंने trillion dollar giant से कंपीटीट करने का डिसीजन ले लिया उन्होंने क्या strategy यूज़ करी जिससे Perplexity one of the fastest growing AI startup बन गया इस कहानी की शुरुआत होती है 2017 से जब अरविंद श्रीनिवास आईआईटी

chennai से  अपनी engineering कंप्लीट कर लेते हैं और ग्रेजुएशन के तुरंत बाद वह 2018 में OPEN AI मे research intern जवाइन कर लेते हैं और उसके एक साल बाद 2019 में वह google deepmind जॉइन कर लेते है उसके दो साल के बाद finaly वापस आ जाते है OPEN AI as a research scientist. इस बीच अरविंद श्रीनिवास को generative ai models जैसे कि dalle 2 और gpt 3 के architecture और development का hands-on experience मिल जाता है फिर 2022 में open ai  ने CHATGPT को लांच कर देता है जो कि extremely वायरल हो जाता है

Aravind Srinivas
Aravind Srinivas

CHATGPT में दो बड़ी दिक्कतें

अब अरविंद को CHATGPT में दो बड़ी दिक्कतें दिखती हैं पहली तो यह कि जीपीटी लेटेस्ट न्यूज़ या फिर real time information का आंसर नहीं दे सकता है क्योंकि ये ai model किसी date तक ही trained होते हैं अगर इनसे हम कुछ करंट अफेयर्स से question पूछते हैं तो ये मॉडल्स उनका answer नहीं दे पाते हैं और दूसरी दिक्कत ये है कि CHATGPT जो भी आंसर देता है उसमें कहीं भी सोर्स मेंशन नहीं होता है तो यूजर वेरीफाई नहीं कर सकता कि जो आंसर

चैट जीपीटी ने दिया है वो सही भी है या नहीं और इन्हीं दो प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिए अरविंद perplexity लांच कर देते हैं बट अब सवाल ये उठता है कि जब चैट जीपीटी और Gemini दोनों अपने AI models के अंदर source verification और real time information का इशू सॉल्व नहीं कर पाए हैं तो आखिर  perplexity ने कैसे इस चीज को कर दिखाया है और तो और अरविंद के पास तो पैसे भी नहीं थे इन दोनों इश्यूज को सॉल्व करने के लिए perplexity एक mind blowing स्ट्रेटेजी यूज़ करता है

AI model और search engine के बीच एक bridge

जब सारी बिलियन डॉलर कंपनीज अपना खुद का AI models बनाने में बिजी थी तब perplexity ने अपना कोई  AI models नहीं बनाया बल्कि उसने इन्हीं कंपनीज का AI models यूज़ किया है अपने प्रोडक्ट में. सो बेसिकली perplexity सर्च इंजन को इन ai model से integrate कर देते हैं अब इसका फायदा क्या होता है आपको एक छोटे से एग्जांपल से समझाता हूं अगर आप ChatGPT से पूछोगे कि tell me today’s news on AI तो वो इसका आंसर नहीं दे

पाएगा क्योंकि वो एक स्पेसिफिक डेट तक ही trained हुआ है लेकिन परप्लेक्सिटी ने AI ​​model और search engine के बीच एक bridge बनाया है जिससे कि अगर हम perplexity से पूछेंगे कि tell me today’s news on AI  तो वो ये request directly AI ​​​​model को नहीं देगा बल्कि उससे पहले सर्च इंजन के पास ले जाएगा सर्च इंजन अलग-अलग साइट्स को गो थ्रू करेगा और वो उसका response इस AI ​​​​model को फीड करेगा जिससे कि अब AI ​​​​model को लेटेस्ट न्यूज़ का context होगा और वो इन सभी आर्टिकल्स में से इंपॉर्टेंट चीजें ढूंढकर उन्हें सोर्स के साथ लिख देगा

Perplexity AI इंडस्ट्री में मेजर प्लेयर

अब इस स्ट्रेटेजी को यूज़ करने से perplexity को तीन बड़े फायदे होते हैं नंबर वन हर week कोई नया AI ​​​​model लॉच होता जाता है तो ये सभी AI ​​​​companies आपस में लड़ती रहती हैं और अपना सारा टाइम AI ​​​​model को अपग्रेड करने में लगा देती है जैसे अभी deepseek आया तो Open AI ने अपना O3 mini model लॉन्च कर दिया वहीं google  इन AI searches को बेटर करने में लगा दिया नंबर टू हर मॉडल की अपनी कोई खासियत होती है कोई reasoning में

अच्छा होता है वहीं कोई writing में। perplexity यूजर को मॉडल चूज करने का ऑप्शन देता है जिससे कि यूजर अपने यूज के अकॉर्डिंग मॉडल चूज कर सकता है नंबर थ्री अब कई सारे मॉडल्स ने किसी specific content  में censored होते हैं जैसे Gemini deep research  में political opinion नहीं देता है वहीं deepseek china के सपोर्ट में ही आंसर देता है और इसी वजह से इन मॉडल्स पर कहीं सारे लीगल केसेस भी होते हैं जैसे Open AI पर कई सारे media houses

ने copyright infringement का केस किया है वहीं deepseek कई सारे countries में बैन भी हुआ है लेकिन perplexity का अपना कोई AI ​​​​model ही नहीं है तो उसे किसी भी लीगल इशू में फंसने की जरूरत ही नहीं पड़ती है अगर किसी AI ​​​​model के अगेंस्ट केस भी होता है है तो perplexity उस मॉडल को हटाकर किसी और AI ​​​​model पर शिफ्ट हो सकता है और इन्हीं रीजंस की वजह से perplexity एआई काफी तेजी से ग्रो करता है और वह एआई इंडस्ट्री में एक मेजर प्लेयर बन जाता है

एक साल में 17x वैल्यूएशन

अप्रैल 2024 में perplexity enterprises pro  लॉन्च करती है जिसके बाद उसकी valuation 1 billion dollars पहुंच जाती है और वो एक unicorn बन जाता है जून 2024 में Soft Bank perplexity में invest करता है जिसके बाद उसकी valuation सिर्फ two months में 3x हो जाती है that is $3 billion dollars फिर दिसंबर 2024 तक आते-आते उसकी valuation $9 बिलियन डॉलर हो जाती है मतलब यह कि उसने सिर्फ एक साल में 17x का jump दिखाया है और इस तरह से perplexity fastest growing AI startup बन जाता है but अब सवाल यह है कि जो मेथड

परप्लेक्सिटी ने यूज़ किया है वही परप्लेक्सिटी ने deepseek r1, open ai 3 mini इंटीग्रेट कर दिया क्योंकि perplexity ने अपने आप को एक AI ChatBot की कैटेगरी में नहीं डाला है बल्कि एक AI search engine बताया है जिसका इन AI model से कोई लेना देना नहीं है उसका काम है लोगों को बेस्ट सर्च रिजल्ट देना जिसके लिए वो कोई भी AI model और search engine यूज़ कर सकता है सो अब हम बात करते हैं कई सारी रिपोर्ट्स और लीक्स यह बताती है कि open  Ai  भी इसीलिए अपने खुद के ब्राउजर पर काम कर रहा है

Share This Article