खास इन तीन वजह से हुआ महाकुंभ मे भगदड़

 इस महिला की तस्वीर को देखिए, जिसने अपने मृत परिजन को सांस देकर जिंदा करने का एक असफल प्रयास किया है,  एक आदमी जो अपनी पत्नी को अमृत स्नान करवाने लाया था, अब कांधे पर शव को उठाए टहल रहा है,

 एक आदमी परिवार के साथ आया था बच्चा कहां है, अब मालूम नहीं और इन तस्वीरों को देखने के बाद यह एहसास होता है|  कि कौन कहता है कि बोलने के लिए शब्दों की जरूरत होती है, भाषा की दरकार होती है|  महाकुंभ मे भगदड़ के इन पीड़ितों की आंखों में देख लीजिए यकीन मानिए, दर्द की पृथ्वी आपको पाताल में खींच ले जाएगी| यकीन मानिए इस देश में आम आदमी की मौत सिर्फ एक नंबर है,

 सरकार किसी की भी हो कई बार ऐसा लगता है, कि जनता की जान की कोई कीमत नहीं है, मरने वाले बेनाम गुमनाम रहते हैं| वरना आप खुद सोचिए! कि  महाकुंभ मे भगदड़ मचती है

यह पता है  महाकुंभ मे भगदड़ मची, क्यों मची नहीं पता, महाकुंभ मे भगदड़ में लोग मरे हैं यह पता है, लेकिन क्यों मरे नहीं पता, भगदड़ में लोग घायल हुए हैं पता है, गलती किसकी थी नहीं पता, भीड़ के दबाव में रेलिंग टूटी यह पता है, क्यों टूटी नहीं पता,

घाट खाली करने की अपील हुई यह पता है, घाट खाली क्यों नहीं हुए नहीं पता,महाकुंभ मे भगदड़ को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की थी, भगदड़ के दौरान पुलिस कहां थी नहीं पता, इन मौतों का जिम्मेदार कौन है नहीं पता, इन मौतों का कसूरवार कौन है नहीं पता, इन मौतों का गुनहगार कौन है नहीं पता,

सवाल कई सारे हैं| कि क्या यह मौत प्रशासनिक लापरवाही से हुई है, वीवीआईपी कल्चर को बढ़ावा देने से हुई है या प्रबल आस्था इसके पीछे जिम्मेदार है| आज इन तीनों वजों में जवाब तलाशते सबसे पहले बात कर लेते हैं|

महाकुंभ में भगदड़ VVIP कल्चर को बढ़ावा देने से हुई है

वीवीआईपी कल्चर की हमारे देश में जितने वीवीआईपी हैं, उससे कम तो कई देशों की जनसंख्या है| यूं समझ लीजिए कि हमारे देश में वीआईपी होना एक ऐसा रोग है, जिसका कोई टीका नहीं कोई इलाज नहीं कोई दवाई नहीं| आप खुद सोचिए आम लोग भीड़ में चार-चार घंटे एक जगह से खिसक नहीं पाते घाटों तक पहुंच नहीं पा रहे, आसमान को तोड़कर धरती को बिछौना बनाकर, किसी तरह से पवित्र डुबकी लगा लेना चाहते हैं|

लेकिन वीवीआईपी के लिए अलीशान टेंट है, अलग रास्ते हैं, अलग से घाट है, अलग व्यवस्थाएं हैं, जहां रहते हैं वहां पर ऐसी भव्य दिव्य जीवन को आनंदित कर देने वाली तस्वीरें हैं| कि लगता है, मालदीप छोड़कर बस अब संगम पर ही लग्जरी मोक्ष मिल जाएगा, वीआईपी कल्चर आज का नहीं है|

 1986 में भी महाकुंभ मे भगदड़ मची थी, 200 लोगों की जाने गई थी कहा जाता है| कि यह हालात उस वक्त तब पैदा हुए थे, जब उस वक्त के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह कई राज्यों के मुख्यमंत्री और सांसदों के साथ हरिद्वार पहुंचे थे| सुरक्षाकर्मियों ने आम लोगों को नदी किनारे जाने से रोका, उस वक्त भगदड़ बज गई थी भीड़ बे काबू हुई, लोगों की मौत हुई कहा जाता है| 1954 में वीआईपी हाथियों पर बैठकर शाही स्नान करने आए थे, इस बार वीआईपी एसयूवी गाड़ी में आ रहे हैं|

क्या कुछ हो रहा है वह हम सब देख रहे हैं, इस महाकुंभ मे भगदड़ में जो मौत हुई है, वह लोगों के परिजनों की सिर्फ मौत नहीं है| बल्कि एक मुल्क के तौर पर वीआईपी कल्चर को बढ़ाने वाली चेतना की भी मौत है| सवाल है? वीआईपी कल्चर कब तक धर्म में रहेगा भगवान की नजर में दो तरह के बच्चे क्यों रहेंगे, जो अमीर हो गया उसके लिए अलग व्यवस्था, जो गरीब हो गया उसके लिए अलग व्यवस्था, हम बैठ के देखें वो वीआईपी है|

महाकुंभ मे भगदड़ प्रशासनिक लापरवाही

सवाल सरकार पर भी उठेंगे सवाल इसलिए भी उठेंगे क्योंकि सभी को मालूम था, कि मौनी अमावस्या पर भीड़ होगी सबको मालूम था| कि भीड़ करोड़ों में होगी इसके बावजूद भीड़ इतनी ज्यादा एक जगह कैसे इकट्ठा हो गई| जिन परिवारों के लोग मारे गए हैं, उनके सामने टीवी पर व्यवस्थाओं की तारीफ ये आंसुओं की दलील काम नहीं करेगी| इसलिए भी क्योंकि महाकुंभ 2025 में उत्तम व्यवस्थाओं सुगम सुविधाओं को लेकर काफी प्रचार प्रसार हुआ था| 144 वर्ष के बाद महाकुंभ का यह मुहूर्त आ रहा है, और इस महा समागम का साक्षी देश और दुनिया बनना चाहता है|

मीडिया लगातार महाकुंभ को दिखा रहा है, यूट्यूब लगातार महाकुंभ दिखा रहे हैं, जो लौट रहे हैं जो जा रहे हैं, वो वहां से लगातार तस्वीरें साझा कर रहे हैं| ऐसे में जनता आश्वस्त हो जाती है, खास तौर पर सरकार ने जिस तरह से 144 वर्ष वाले प्रचार को बढ़ाया, उसके बाद बड़ी संख्या में लोक संगम स्नान के लिए तत्पर हो गए|

पीढ़ियों में एक बार मिलने वाले इस अनुभव को कोई भी छोड़ना नहीं चाहता था|और यह सरकार के प्रचार प्रसार की वजह से हुआ था, जनता सरकार को लेकर आश्वस्त थी| कि भले ही आसमान गिर जाएगा लेकिन सरकार संभाल लेगी, यह आस्वस्ता यह निश्चिंता का भाव से महाकुंभ मे भगदड़  30 से 35 लोगों के लिए काल बन गया

महाकुंभ मे भगदड़ प्रबल आस्था

तीसरी वजह भी प्रमुख है, प्रबल आस्था लोगों की आस्था दरअसल महाकुंभ में भगदड़ से पहले का कमिश्नर का वीडियो वायरल हुआ, जो कह रहे थे कि भगदड़ की आशंका है| जो बारबार सचेत कर रहे थे| वह लोगों को हटने की बात कह रहे थे, मौजूदा दौर में लोगों की आस्थाएं इतनी प्रबल हो चुकी है| कि आप उन्हें बुलाकर ये नहीं कह सकते, कि संगम पर मत नहाओ पर्व पर मत नहाओ या ब्रह्म मुहूर्त में मत नहाओ|

लोग वही स्नान करना चाहते हैं, जहां गंगा और यमुना का मिलान होता है| सबको मौनी अमावस्या के ब्रह्म मुहूर्त में ही स्नान करना था, उन्हें रोकने के लिए अगर ये कहा जाएगा| कि आप ऐसा मत कीजिए कहीं भी नहा लीजिए पुण्य समय है, तो लोग नहीं मानेंगे, और यह भी एक बड़ी वजह बन गया| 

 हालांकि लोग भी इसमें पूरी तरह गलत नहीं है, क्योंकि लोग एक विशेष विचार लेकर ही प्रयागराज पहुंचे हैं| और उसी के अनुसार वह चलेंगे आप उनसे लाख कह दीजिए, कि मत कीजिए श्रद्धालु वही करेंगे, जिसमें उन्हें इस बात का एहसास कराया गया है| कि सर्वाधिक पुण्य मिलेगा और अगर आप जरूरत से ज्यादा उन्हें पाप पुण्य समझाएंगे,

तो लोग इसी भावना के साथ हो सकता है| घरों में रहकर ही मन चंगा कठौती में गंगा मानकर महाकुंभ का स्नान करने से बच जाए| वो अपने घरों में रहकर ही यह मान ले कि तीर्थस्थल का सुख वहां भी मिल जाएगा| ऐसे में फिर इन तीर्थ स्थलों के महत्व क्या रह जाएगा, यह सवाल भी है लोगों की अधिक आस्था भी एक बड़ी वजह हो सकती है| हालांकि लोग और सरकार दोनों को यह समझना पड़ेगा|

कुम्भ मे भगदड़ से मौतों का इतिहास

और यह कोई नई बात नहीं है इतिहास कहता है, कि 1820 में हरिद्वार में 485 श्रद्धालू मारे गए थे, 1954 में लगभग 800 से 1000 की मौत हुई थी, 1986 में 200 लोगों की कुंभ भगदड़ में मौत हुई थी, 1992 में उज्जैन में 50 लोगों की मौत हुई थी, 2003 में नासिक में 39 लोगों की मौत हुई थी, 2010 में हरिद्वार में कुंभ में सात लोगों की मौत हुई थी, 2013 में प्रयागराज में 42 की मौत हुई थी, और 2025 में 30 की सरकारी पुष्टि हो चुकी है| भारत आस्था और अध्यात्म का देश है, जिसकी आबादी 150 करोड़ है|

सरकारें व्यवस्थाएं उसी अनुरूप करें, और तब उसका प्रचार प्रसार करें, जितनी बड़ी संख्या में लोगों का आमंत्रित करें| उससे पहले यह सुनिश्चित करें, कि उतनी व्यवस्थाएं उनके पास हैं| उस स्तर पर जागरूकता वो कर रहे हैं उम्मीद करते हैं, कि सरकार और लोग इन बातों का ध्यान रखेंगे, और जब भविष्य में और लोग महाकुंभ में स्नान करने जाएंगे| क्योंकि कई महत्त्वपूर्ण स्नान बाकी है| तो इन बातों का ध्यान रखा जाएगा, जो इस दुनिया में नहीं रहे उन्हें हमारी तरफ से भाव भीनी श्रद्धांजली ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे| जय हिंद जय भारत

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